मुंबई : भारत रतन ,भारत भूषण से सम्मानित टाटा उद्योग समुहके चेअरमन रतन जी टाटा जी का आज सुबह मुंबई के अस्पताल मे देहांत हो गया अब नहीं रहे रतन टाटा जी उनके जाने से समुर्ण भारत मे शोक मनाया जायेगा
रतन टाटा जी को कल किया था मुंबई के अस्पताल मे भरती
रतन टाटा जी की कुछ दिनों से तबीयत खराब चल रही थी ,गये सोमवार को सोशल मीडिया पे कुछ अफवाए आई थी जिसका निवारण ख़ुद रतन टाटा जी ने एक पोस्ट द्वारा किया था । की मे ठीक हु आप चिंता ना करे 86 वर्ष की आयु मे अब तबीयत मे उंच नीच होती रहती है जिसके कारण बार बार अस्पताल आना पड़ता है ।
कल शाम को भी कुछ सांस लेने मे आने वाली तखलिफ़ के लिए रतन टाटा जी को अस्पताल भरती किया गया था । आज सुबह सूत्रो के अनुसार उनका देहांत हो गया है । एक बड़े उद्योग पति को भारत ने आज को दिया है।
भारत रत्न क्यू कहा ज़्याता है रतन टाटा जी को ?
रतन टाटा जी का योगदान भारत के विकास मे अमूल्य है । एक बड़े उद्योग समूह के चे अ र मेन होने के बावजूद भी वो भारत के हर किसी की मदत करना जानते थे ।भारत सरकारने उनको पद्मभूषण से सम्मानित किया है । भारत के उद्योग जगत का एक बड़ा नाम रतन टाटा जी का लिया ज़्याता है ।21 साल की उम्र मे इस समूह की डोर अपने हाथ मे लेनेवाले रतन टाटा जी ने इस टाटा सन्स समूह को बोहोत बड़ी ऊंचाई पर लाके रखा है ।
रतन टाटा जी की टाटा सन्स की शुरुवात कैसी रही ?
रतन टाटा जी टाटा समूह के संस्थापक जमशेदजी टाटा के दत्तक पोते नवल टाटा के बेटे हैं।जमशेद जी टाटा ने अपनी स्टील और ऑटो उद्योग को संभालने के लिए नवल टाटा जी को दत्तक लिया था ,बाद मे रत्न टाटा जी ने 1962 मे टाटा सन्स उद्योग समूह की डोर अपने हाथ मे ली ,तब को केवल 21 साल के थे 21 साल के इस नौजवान ने इस टाटा नाम को पुरी दुनिया मे फैलाया है ,इस उद्योग समूह को दुनिया की सबसे बड़ी ऊँचाई पे पोहोचाया है ।
टाटा समूह से जुडने के बाद रत्न टाटा जीने 1966 मे टेलिकॉम सैक्टर मे प्रवेश किया जो भारत के नया था । इस टेलिकॉम उद्योग ने उनको बहुत ज्यादा सफलता मिली ,अब टीसीएस ,टाटा मोटर ,टाटा, अपने कार्यकाल दौरान, टाटा समूह ने कई महत्वपूर्ण अंतर्राष्ट्रीय अधिग्रहण किए। 2008 में, टाटा मोटर्स ने जगुआर लैंड रोवर को 2.3 बिलियन डॉलर में खरीदा, जिससे वह विश्व की लक्जरी कार बाजार में एक महत्वपूर्ण प्रतियोगी के रूप में सामने आये।
2007 में, बाद मे टाटा स्टील ने ब्रिटिश-डच स्टील निर्माता कोरस को 12 बिलियन डॉलर में अधिग्रहित किया, जिसने इसे दुनिया के पांचवें सबसे बड़े स्टील उत्पादक के रूप में स्थापित किया। 2000 में, टेटली टी के अधिग्रहण ने टाटा टी (जिसे अब टाटा कंज्यूमर प्रोडक्ट्स के नाम से जाना जाता है) को दुनिया के अग्रणी चाय उत्पादक में बदल दिया।
ऑटो सैक्टर मे किया आविष्कार लोगों की मांग देख किये कम दाम वाली मजबूत गाड़िया
टाटा सूमों :भारत के मिडल क्लास लोगों के लिया एक फॅमिली कार बनाई जिसे लोगों ने खूब पसंद किया भारत के हर एक रोड पे चलने वाली टाटा सूमों पहली कार बनी थी ,
टाटा नैनो :रतन टाटा ने टाटा नैनो की कल्पना की थी, जो एक कॉम्पैक्ट कार थी जिसकी कीमत मात्र ₹1 लाख (उस समय लगभग $2,500) थी, जिसका उद्देश्य भारत के मध्यम वर्ग के लिए कार स्वामित्व को सुलभ बनाना था। हालाँकि इस वाहन को अंततः स्थायी व्यावसायिक सफलता नहीं मिली, लेकिन यह आम जनता के लिए रतन टाटा के दृष्टिकोण और नवाचार के प्रति समर्पण का प्रतिनिधित्व करने लगा।
टाटा इंडिगो ,टाटा सफारी जैसे कई कार को टाटा समूह ने बनाया जिन्हे लोगों ने ख़ूब ज्यादा प्यार दिया।
कई सारे विभिन्न क्षेत्रों में अपने उद्योग समूह का किया विस्तार
टाटा समूह कई क्षेत्रों में शामिल है, जिसमें स्टील, ऑटोमोबाइल, अस्पताल ,कंजूमर प्रॉडक्ट ,टाटा क्लिक ,सूचना प्रौद्योगिकी, आतिथ्य और उपभोक्ता सामान शामिल हैं।रतन टाटा जी ने कंपनी को दूरसंचार (टाटा टेलीसर्विसेज), नवीकरणीय ऊर्जा जैसे नए क्षेत्रों में भी विविधता प्रदान की उनके नेतृत्व के दौरान, समूह का आईटी प्रभाग, टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (TCS), दुनिया की सबसे मूल्यवान कंपनियों में से एक के रूप में उभरा।हर एक क्षेत्र मे अपने समूह को उन्होने जोड़ा हुआ था । आपने इस कम को अधिक का अधिक लोगो तक पोहचाने के लिये उनको ज़्यादा मेहनत नहीं पड़ी क्यूकी टाटा जी का नाम और काम पूरी दुनिया को पता है ।
कैंसर पीड़ितो के लिये बने भगवान का रूप ।
रतन टाटा जी ने भारत मे हो रहे कैंसर जैसी महामारी को रोकने के लिये टाटा अस्पताल की स्थापना की जिसकी वजह से वो भारत के हर व्यक्ति हे दिल मे राज करते है ,और उनके प्रति सभी को एक आदर भाव है । इस अस्पताल मे गरीब से गरीब भी आपने कैंसर का इलाज कर सकता है । इसी लिये उन्हे भारत रत्न कहते है ,कोई दिखावा ना कराते लोगो की सेवा की
रतन टाटा ने अपने कार्यकाल 2012 तक के दौरान नैतिक नेतृत्व और कॉर्पोरेट सामाजिक जिम्मेदारी के महत्व पर प्रकाश डाला। टाटा जी नेनिश्चित किया कि टाटा समूह अपने मुनाफे का 60% से अधिक हिस्सा धर्मार्थ पहलों के लिए देगी । नैतिकता और सामाजिक कल्याण के प्रति इस प्रतिबद्धता ने टाटा समूह को दुनिया भर में महत्वपूर्ण विश्वास और सद्भावना दिलाई।जो आज इस समूह की सफलता का एक बड़ा कारण बना है ।
पूरे भारत के सभी लोगों की तरफ से हम प्रार्थना कराते है की उनकी आत्मा को शांति मिले।