डॉ. भीमराव अंबेडकर बाबा साहेब को भारतरत्न पुरस्कार से सम्मानित किया गया है भारतीय संविधान के जनक है बाबा साहेब एक भारतीय समाज सुधारक , अर्थतन्य , न्याय विद्वान,राजनेता रहे ।बाबा साहेब का काम भारत की न्याय व्यवस्था में बहुत ही महत्वपूर्ण है।

बाबा साहब पहले न्याय मंत्री कानून मंत्री रहे । वो इंडिपेंडेंट लेबर पार्टी के फाउंडर रहे 

डॉ बाबा साहेब की शिक्षा मुंबई विश्विद्यालय से बीए(BA) किया फिर कोलंबिया विश्वविद्यालय से एमए पीएचडी (MA PHD) फिर लड़न स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स से एम एससी डी एससी (MSc DSC)

बाबा साहेब का परिवार 

बाबा साहब के पिता एक सेना अधिकारी रहे उनका नाम रामजी मालोजी सकपाल और उनकी मां का नाम  लक्ष्मण मुरबाडकर की बेटी भीमाबाई सकपाल की 14वीं और  संतान थे ।उनका जन्म महाराष्ट्र के रत्नागिरी जिले के अंबाडावे ( मंडनगढ़ तालुका ) शहर से महाराष्ट्रीन फैमिली हुआ  । बाबा साहब  का जन्म दलित जाति में हुआ था जो महार कहलाती थी,जिनके साथ अछूत माना जाता था और सामाजिक-आर्थिक भेदभाव किया जाता था। बाबा साहब के पूर्वजों ने लंबे काल तक ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी की सेना के लिए काम किया था , और उनके पिता महू छावनी में ब्रिटिश भारतीय सेना में कार्यरत थे।

बाबा साहब  और अन्य दलित बच्चों को अलग रखा जाता था और शिक्षक उन पर बहुत कम ध्यान देते थे और कोई मदद नहीं की जाती थी। उन्हें क्लास के अंदर बैठने की इजाजत नहीं थी. जब उन्हें पानी पीना होता तो भी लंबे से या ऊंचाई से पानी डालना डालते थे क्योंकि उन्हें पानी या उस बर्तन को छूने की अनुमति नहीं थी या फिर उनके लिए एक बर्तन बाहर ही रखा जाता था । स्कूल के चपरासी द्वारा उनको पानी दिया जाता था ।इस लिए बाबा साहब ने आगे आपनी पढ़ाई करके दलित लोगो के लिए काम करना चाहा उन्होने भारतीय सविधान मै दलित पीड़ित लोगो के लिए अलग अधिसूचि  बनाई जो दलित समाज के हिट मै थी और आज भी है 

बाबा साहब उन्होंने 1935 में येवला में की गई अपनी घोषणा “मैं एक हिंदू के रूप में नहीं मरूंगा” को सच साबित कर दिया. 14 अक्टूबर 1956 को नागपुर में समारोह में उन्होंने बौद्ध धर्म अपना लिया और 6 दिसंबर 1956 को उनकी मृत्यु हो गई.बौद्ध धर्म के उनका कार्य अविश्वासनीय है बौद्ध धर्म के लोग आज भी सिर्फ बाबा साहब का फोटो की पुजा कराते हे वे बाबा साहब आंबेडकर जी को आपना भगवान मानते है और उनके सिवा किसी और भगवान की पुजा नहीं करती आज का दिन पूरे भारत मै मनाया जाता है 

बाबा साहब की कुछ सोच नीचे दीय 

  • यदि मुझे कभी लगा, संविधान का दुरुपयोग हो रहा है, तो मैं पहला शख्स होऊंगा, जो उसे जला डालेगा.
  • जो कौम अपना इतिहास तक नहीं जानती है,वे कौम अपना इतिहास भी नहीं बन सकती है 
  • “कानून एवं व्यवस्था किसी भी राजनीतिक निकाय की दवा हैं, और जब राजनीतिक निकाय बीमार होगा, दवा देनी ही होगी…

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